Irfan

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آزمائے گئے


ظم اور ستم کے ہنر ہم پر آزمائے گئے

ظم بھی ہم سہتے رہے ظالم بھی ہم 
کہلائے گئے

وہ محبت کہتے رہے ہم آنکھوں سے عشق 
بہاتے گئے

وادے تو صرف نام کے تھے وہ توڑتے گئے ہم نبھاتے گئے

کرنے لگے تھے وہ کسی اور سے محبت
ہم نادانی سمجھتے گئے

دے کر زخم اور ہم کے تحفے وہ ہم پر 
مسکرائے گئے

ایسی زندگی سے موت بہتر ہے
عرفان تم کتنے ستم سہتے گئے

عرفان

Suno

ज़ुल्म औ सितम के हुनर,
हम पर यु आज़माये गए।

ज़ुल्म भी हम सहते रहे,
ज़ालिम भी हम कहलाये 
गए।

वो मोहब्बत कहते रहे,
हम आंखों से अश्क़ बहाते 
गए।

वादे तो सिर्फ नाम के थे,
वो तोड़ते गए हम निभाते 
गए।

करने लगे थे वो किसी 
और से मोहब्बत,
हम दिललगी समझते गए।

गम औ ज़ख़्म के देकर 
मुझे तोहफे,
वो हम पर मुस्कुराते गए।

ऐसी ज़िन्दगी से मौत है 
बेहतर,
इरफ़ान तुम कितने सितम 
सेह्ते गए।

Irfan....✍️

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1 Comments

Sachin dev

22-May-2023 06:23 PM

Nice

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